जमुना के तट पर, राधा बिचारी…
करती रही इंतज़ार…।।2।।
फिर भी न आए… मोहन प्यरे,
राधा बिचारी…
करती रही, करती रही इंतज़ार…।।2।।
मुरली बजा कर, मन मे बस गये,
माखन चुरा कर, मोहित कर गये..
ग्वालों के संग, गय्या पाले..
गोपियों संग, रास रचाये…
वृन्दावन म,े हर कदम पर..
छाप छोड़ क…यूँ ही चले गये ।।
जमुना के तट पर, राधा बिचारी…
करती रही इंतज़ार…।।2।।
फिर भी न आए… मोहन प्यरे,
राधा बिचारी…
करती रही,करती रही इंतज़ार…।।2।।
यशोदा मय्या का आंगन सूना,
नन्द राज का दिल भी सूना,
कैसे कर गये कान्हा…
तुम कैसे कर गये कान्हा??
जमुना के तट पर, राधा बिचारी…
करती रही इंतज़ार…।।2।।
फिर भी न आए… मोहन प्यरे,
राधा बिचारी…
करती रही इंतज़ार…।।2।।
एक बार तो , लैट के आते,
दर्शन दे कर..मन बेहलाते..
जमुना के तट पर, राधा बिचारी…
करती रही इंतज़ार…।।2।।
फिर भी न आए… मोहन प्यरे,
राधा बिचारी…
करती रही इंतज़ार…।।2।। े
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